Virya Girne Se Kaise Roke
वीर्य गिरने से कैसे रोकें
धात रोग क्यों होता है, लक्षण और इलाज क्या है?
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आज का मनुष्य दूषित पर्यावरण, व्यस्त जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से कई प्रकार के रोगों की गिरफ्त में आने लगा है। जिसमें स्वास्थ्य व सेहत के अलावा गुप्त रोग भी शामिल हैं। स्वास्थ्य संबंधी समस्या तो फिर भी इतना जीवन को प्रभावित नहीं करती, क्योंकि सही खानपान, संयमित दिनचर्या और उचित उपचार के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी रोग दूर हो जाते हैं और यह केवल आपके शरीर को ही प्रभावित करते हैं। किन्तु गुप्त रोग की गंभीर अवस्था आपके जीवन, खासकर वैवाहिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं, इसलिए वक्त रहते इलाज जरूरी है।
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गुप्त रोगों के अंर्तगत आने वाली एक समस्या है धात रोग। धात रोग की समस्या होने पर मल-मूत्र के दौरान हल्का दबाव देने पर लिंग के मुख द्वार से चिपचिपा लेसुनमा द्रव्य रिसने लगता है। यानी अनैच्छिक रूप से वीर्य का अंश बहने लगता है। धात रोग की समस्या होने पर व्यक्ति की मानसिक व शारीरिक शक्ति घटने लगती है और व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होकर निर्जीव समान हो जाता है।
धातु गिरने की समस्या उन्हीं पुरूषों में अधिक देखने को मिलती है, जिनका वीर्य किसी कारणवश बहुत अधिक पतला हो चुका होता है। इसके अलावा लिंग की नसें भी बेजान और कमजोर हो चुकी होती हैं। और यह वीर्य का पतलापन ही होता है, जिस कारण लिंग की कमजोर नसें उन्हें रोकने में असक्षम हो चुकी होती हैं, तभी तो हल्का-सा जोर पड़ने पर लिंग से लेसनुमा द्रव्य रिसने लगता है। इस रिसने वाले धात के अधिक समय तक गिरते रहने से कमर दर्द की शिकायत पिंडलियों में पीड़ा महसूस होना, उठने और बैठने के दौरान चक्कत की अनुभूति होना मुख्य लक्षण होते हैं। इन लक्षणों के कारण रोगी अपने दैनिक कार्य करने में खुद को असमर्थ महसूस करता है। पूरे दिन आलस्य व सुस्ती छायी रहती है। किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता है।
अपनी इस परेशान स्थिति व समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति तरह-तरह के सेक्स विज्ञापनों के फेर में पड़कर जगह-जगह से इलाज कराने लगता है। रोगी की इसी मानसिक स्थिति का लाभ उठाते हुए कुछ धोखेबाज व स्वास्र्थी चिकित्सक बिना सोचे-विचारे बाजारू उत्तेजक गोलियां उन्हें सेवन करने की सलाह दे देते हैं। रोगी के रोग का मूल कारण जानने का प्रयास नहीं किया जाता है। यदि वाकई धात गिरने की परेशानी है, तो इसका सही इलाज यही बनता है कि पहले व्यक्ति के रोग की मूल जड़ पर काम किया जाये, वीर्य के बबार्दी को रोकने का प्रयास किया जाये।
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धात रोग की घरेलू चिकित्सा-
1. कुछ देसी औषधियां जैसे गोखरू, आंवला, नीम औ गिलाय एकत्र कर लें। इन्हें एकत्र करने के बाद इनको समान-समान मात्रा में लेकर बारीक पाउडर यानी चूर्ण बना लें। इस तैयार चूर्ण की 1-1 चम्मच मात्रा रोजाना तीन समय स्वच्छ जल के साथ रोगी को दें। धात रोग की समस्या आने वाले समय में रहेगी ही नहीं।
2. आंवला, हर्र, बहेड़ा इन तीनों की समान मात्रा लेकर एकदम बारीक चूर्ण बनाकर तैयार कर लें। इस चूर्ण की मात्रा एक-एक चम्मच प्रतिदिन शहद के साथ 3 बार रोगी को दें। धात रोग छू मंतर हो जायेगा।
3. आंवला और गिलोय स्वरस 2-2 चम्मच और शहद 1 चम्मच मिलाकर रोजाना दिन में तीनों समय खाली पेट रोगी को सेवन करायें। धात रोग दूर करने में बहुत लाभकारी योग है।
4. धात रोग की समस्या पुरानी है तो जल्दी आराम पाने के लिए रोगी को त्रिफला चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा, हल्ही चूर्ण 1 ग्राम रोजाना 2-2 बार मधु के साथ प्रयोग करायें।
5. ईसबगोल की भूसी 1-1 चम्मच हर रोज दो-तीन बार पानी के साथ दें। रोगी की धात गिरने की समस्या में आराम पहुंचेगा।
6. बबूल के पंचांग का चूर्ण बनाकर तैयार कर लें। इस तैयार चूर्ण की एक-एक चम्मच की मात्रा रोजाना 2-3 बार रोगी को स्वच्छ पानी के साथ प्रयोग करायें। धात नहीं गिरेगी।
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7. सेमल की जड़ और मिश्री समान-समान लेकर पाउडर तैयार कर लें। 1-1 चम्मच 2 बार दूध या फिर पानी के साथ रोजाना रोगी को सेवन करने का निर्देश दें। रोगी को आराम पहुंचेगा।
8. बढ़ का दूध 10-10 बूँद सुबह-शाम बताशे या चीनी में टपका कर रोजाना सेवन करें।
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