Ayurved Apnayen Aur Payen Dhatu Rog Se Chutkara आयुर्वेद अपनायें और पायें धातु रोग से छुटकारा
धात जाने की समस्या-
बिना इच्छा के स्वयं वीर्यपात होने को धातु रोग या वीर्य प्रमेह कहते हैं। मल-मूत्र करते समय अंडे की सफेदी जैसा या सहिष्णुता इतनी बढ़ जाती है कि जरा सी उत्तेजना से वीर्य निकल जाता है।
यह तीन प्रकार का होता है :
1. धातु आना 2. प्रोस्टेटोरिया(सफेद पानी आना) और 3. यूरेथ्रोरिया से गंदा पानी आना।
इसके प्रमुख कारण वृक्कों की कमजोरी, वीर्य की अधिकता, वीर्य का पतलापन, हस्तमैथुन, गुदामैथुन, अत्यधिक मैथुन, गंदे विचार, उत्तेजक पदार्थों का सेवन, विभिन्न स्त्रियों से मैथुन, कब्ज, मूत्राशय की खराश, पौष्टिक पदार्थों का अत्यधिक सेवन, अश्लील साहित्य पढ़ना, अश्लील चित्र व चलचित्र देखना, अत्यधिक साईकिल चलाना, पेट के कीड़े, मूत्रछिद्र की सूजन, वीर्य थैलियों में ऐंठन, दीर्घकाल तक संभोग ना करना, बवासीर इत्यादि।
Ayurved Apnayen Aur Payen Dhatu Rog Se Chutkara
इससे रोगी में सुस्ती, कमजोरी, साहसहीनता, निस्तेजता, शारीरिक व मानसिक कमजोरी, चक्कर आना, शरीर में दर्द, नपुंसकता, नेत्रों के चारों ओर काले घेरे पड़ जाना आदि लक्षण हो जाते हैं।
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धातु रोग का उपचार-
1. यौन शक्तिदा बटी(धन्वन्तरि आरोग्य मंदिर): धातु रोग में 6 टिकियां विभाजित मात्राओं में 6 सप्ताह तक प्रतिदिन लें। अग्रिम 6 सप्ताह 4 टेबलेट्स प्रतिदिन लें। यह धातु रोग, शीघ्रपतन, शिथिलता आदि विकारों में फायदेमंद है।
2. वीटाफिक्स टेबलेट्सः यह लिंग की बढ़ी हुई संज्ञा को दूर करके धात गिरने की समस्या को दूर करता है। 2 टेबलेट्स प्रतिदिन 3 बार 6 सप्ताह तक दें।
3. प्रभा कम्पाऊंड(पटियाला): यह धात जाने के रोग की अति उत्तम औषधि है। 2 टिकियां पानी या दूध के साथ रोजाना 3 बार भोजन के बाद लें। पेशाब में एल्ब्यूमिन जाना, पेशाब में जलन, मधुमेह, भगन्दर आदि अनेक रोगों में लाभप्रद है।
4. बंग भस्म: यह भस्म 125 से 250 मि.ग्रा. प्रति मात्रा सुबह-शाम शहद या मलाई के साथ दें। अच्छे लाभ के लिए 3 ग्राम सितोपलादि चूर्ण एक मात्रा मिलाकर शहद के साथ चटायें।
5. कामदेव चूर्ण: इस चूर्ण को 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ लें। यह धात गिरना, शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन आदि विकारों में बहुत फायदेमंद साबित होता है।
6. मेहमुदगर वटी: अकेले इसके सेवन से धातु जाने के रोग से मुक्ति मिल जाती है। 1-1 टिकिया सुबह-शाम ताजा पानी के साथ लें।
7. चन्द्रप्रभा वटी: यह मूत्र और वीर्य विकारों की प्रसिद्ध औषधि है। इसके सेवन से सभी प्रकार के प्रमेह, शुक्रमेह, मधुमेह, स्वप्नदोष, धातु का पतलापन, पौरूष-ग्रन्थि शोध आदि अनेक रोगों में लाभ होता है। 2-2 टिकियां दिन में 3 बार दूध के साथ लें।
8. चन्द्रकला वटी: इसके सेवन से प्रमेह, स्वप्नदोष, धातुक्षीणता, शुक्रमेह, धातु का पतलापन आदि रोगों में लाभ होता है। 1-2 टिकियां 2 बार शहद के साथ लें।
9. रसायन चूर्ण: आंवला गुठली रहित, नीम गिलोय तथा गोखरू बराबर-बराबर लेकर चूर्ण बना लें। 1-1 चम्मच 3 बार विषम भाग मधृ-धृत के साथ दें। अभाव में केवल पानी के साथ दें। इसके सेवन से मूत्र कृच्छ, पेशाब की जलन, मूत्र-त्याग करते समय वीर्य निकल जाना, स्वप्नदोष आदि रोगों में लाभ होता है। यह उत्तम रसायन है।
10. शिलाजित्वादि वटी: इसके सेवन से मल-मूत्र त्याग करते समय वीर्य निकलना, प्रेमह, मधुमेह, स्वप्नदोष, वीर्य का पतलापन, इन्द्रिय शिथिलता, दुर्बलता आदि रोगों में लाभ होता है। 1-2 टिकियां सुबह-शाम शहद के साथ चटाकर गाय का दूध लें।
11. शुक्रमातृका वटी: यह प्रमेह, धातु का पतलापन, स्वप्नदोष, मूत्रकृच्छ, अश्मरी आदि विकारों में लाभप्रद है। 1-2 टिकियां सुबह-शाम शहद के साथ चटाएं रोगी को।
12. वृहद पूर्ण चन्द्र रस: जब धातु गिरना, प्रेमह आदि विकारों में साधारण औषधि से लाभ ना हो, तब इसका इस्तेमाल करें। यह अत्यंत पौष्टिक है। 1-1 टिकिया 2 बार शहद के साथ चटायें।
13. बृहत् बंगेश्वर रस: नये-पुराने सभी प्रकार के प्रमेह, शुक्रक्षय, वीर्यक्षीणता, मल-मूत्र के साथ वीर्य निकल जाना, स्वप्नदोष, शिथिलता, दुर्बलता आदि में लाभप्रद है। 1-1 टिकिया 2 बार शहद के साथ चाट कर दूध पिएं।
14. बसन्तकुसुमाकर रस: जब प्रमेह में अन्य किसी औषधि से लाभ न हो, तो इसका प्रयोग करें। यह सर्वश्रेष्ठ रसायन है। इसके सेवन से 20 प्रकार के प्रमेह, मधुमेह, स्वप्नदोष, शिथिलता, हृदय की दुर्बलता, नपुंसकता आदि विकारों में लाभ होता है। 1-1 टिकिया 2 बार लें।
15. लौह शिलाजतु वटी: शुद्ध शिलाजीत 96 ग्राम, लौह भस्म 24 ग्राम, अभ्रक भस्म 12 ग्राम तथा बंग भस्म 6 ग्राम लें। तीनों भस्मों को पत्थर के खरल में शुद्ध किया हुआ गीला शिलाजीत डाल कर खूब घोंट लें। फिर 25 मि.ग्रा. की टिकियां बना लें। 1-2 टिकियां सुबह-शाम दूध के साथ लें। इसके सेवन से सभी प्रकार के प्रमेह, विशेषकर शुक्रमेह, स्वप्नदोष, दुर्बलता, नपुंसकता आदि में लाभ होता है। हस्तमैथुनजन्य दुर्बलता में भी प्रभावी है। लगातार 2-3 माह तक इसका सेवन करें।
Ayurved Apnayen Aur Payen Dhatu Rog Se Chutkara
16. जीवन सखा चूर्ण: असगंध नागौरी, शतावर, सोंठ, सफेद मूसली, सफेद चन्दन, ईसबगोल की भूसी तथा छोटी हरड़ 10-10 ग्राम मिश्री, 70 ग्राम चूर्ण लें। 3-3 ग्राम दिन में 3 बार दूध के साथ लें। यह प्रमेह और स्वप्नदोष में लाभप्रद है। इसके सेवन से आतें साफ होती हैं।
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